लेखक हूँ by Noel Lorenz
- Noel Lorenz
- Jun 10, 2021
- 1 min read
लेखक हूँ
इस दुनिया की रीत
पकड़ के चल रहा था,
कुछ ऐसे ही गीत
गा रहा था।
यहाँ मिले कुछ अजनबी,
कुछ भले लोग, कुछ अनचाही,
दास्ताँ ये भले ही नया नहीं
मगर दिल भी कम काले नही।
इस अंधेरे में दीपक लिए
फिर रहा था गली गली,
कुछ खास बने कुछ दूर गए,
यही बनी मेरी जिंदगानी।
अब लेखक हूँ मैं
लिखना पेशगी नहीं मेरी,
लेखकों से मिलना नसीब है
ज़रूरत नहीं मेरी।
मिल भी लिए, जान भी लिए
अनेक लोग पहचान भी लिए,
वापिस लिख रहा हूँ दिल की बात
कुछ पन्ने और कलम लिए।
© नोएल लॉरेंज़

Noel Lorenz, Kolkata
Beautifully penned ❤️