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Ek Avishwasniya Ghatna

Writer: Noel LorenzNoel Lorenz


एक अविस्मरणीय घटना:




सन 2015 में हम आसाम में थे, तब की ये घटना है !आसाम क्या पूरे उत्तर पूर्वी क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता का जितना भी बयान करो कम है !वहां का मनोरम दृश्य देखते ही बनता है ! आस पास लगे हुए स्थान ,जंगल , की खुबसूरती का वर्णन तो पुस्तकों में भी किया गया हैं! वहां उन सब जगहों पर घूमने गए! आसपास जैसे तवांग,अरूणांचल प्रदेश ,सिल्वर आई लैंड आदि!सिक्किम, की मनोरम दृश्य का क्या कहना ? वाह उसकी सुंदरता तो मैं शब्दो में बयां करने में असमर्थ हूं !

छुट्टियां चल रही थी! बहुत दिनों से हम लोग काजीरंगा जंगल घूमने की सोच रहे थे !किसी तरह प्रोग्राम बना ! हम निकले साथ में दो परिवार और थे !रास्ते भर अंताक्षरी, दम सिराज,शब्दो के गेम खेलते हुए गए !रात तक पहुंच गए ! वहां होटल में गए समान रखा ,फ्रेश हुए ,और सुबह जल्दी निकलना है , सोच के, दूसरे दिन का प्रोग्राम कैसे निकलना है कब निकलना है तय करके सो गए ! सुबह सब तैयार हो के निकले, वहां पहुंचे !लाइन में लगे ,टिकट लिया ,हाथी की सवारी के लिए! हमारा नंबर आया, हमने हाथी की सवारी की !रास्ते में दूर दूर से बहुत सारे जानवर भीं दिखाई दिए ! बहुत डर लग रहा था, लग रहा था ,अब जान गई की तब जान गई ! आवाजे भी नही निकाल पा रहे थे डर के मारे ! कैसे भी वो सफर खत्म हुआ !फिर जीप से भी पूरे जंगल का भ्रमण किया बहुत मजा आया !!

होटल आए ! फिर सबने बोला सुबह ट्रैकिंग के लिए जायेंगे ! एक रास्ता ऐसा है पतला उधर से ही गाइड के साथ जायेंगे वो ठीक से ले जाएगा !सुबह ट्रैकिंग के लिए निकल पड़े ! थोड़ी दूर तक गए गाइड भी पहले डंडे से आहट ले लेता था ,जिससे डंडे की आवाज सुनकर कोई जानवर अगर हरकत करेगा, पता लग जाएगा तो, हम रास्ता बदल लेंगे ! आगे चले ही थे, थोड़ी दूर पे एक शेर दिखाई दिया! अब तो अफरा तफरी मच गई !कोई गाइड की बात नही सुना !सब भाग निकले !मुझे सब खीचे वापस ले जाने के लिए !मैं थोड़ी पीछे हो गई !और सब आगे निकल गए !मुझे तो ऐसा लगा मानो काटो तो खून नहीं! घबराहट से जान निकल रही थी !चारो तरफ देख रही थी कोई दिखता न था !डर लग रहा कि कही किसी जानवर का आहार न बन जाऊं !भागते भागते सांसे फूल रही थी कोई रास्ता निकलने का नही दिख रहा था! सुनसान था एकदम घना जंगल बाप रे !न बंदा न बंदे की जात थी वहां ! प्यास से हालत खराब थी , फिर कही दूर से एक आशा की किरण दिखा दी! एक रास्ता दिखाई दिया !आवाजें भी तरह तरह की अब तो आने लगी ! भगवान का नाम लेते लेते मैं इस रास्ते की ओर बढ़ीऔर एक घंटे में वहां पहुंच गई ! वहां देखा तो सब वहीं पर मेरा इंतजार कर रहे थे ! सबको एकसाथ देखकर खूब लिपट के रोई! उस दिन सब घर वालो की और अपने जान की कीमत समझ में आई ! सचमुच मेरे जीवन का सबसे रोमांचक और सत्यता पर आधारित ये काजीरंगा जंगल यात्रा की घटना है!!जिसे मैं जीवन में कभी भी नही भुला सकती !!


Poonam Srivastava

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