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Poem by Lakshya Tewari

जिंदगी लिखी किसने क्या पता ,

जो हमने सोची जिंदगी ये वो तो नहीं ।।

कहा मुझसे किसी ने वो तेरी मोहब्बत है न ,

मैंने कहा जिससे मोहब्बत करी मैंने ये वो तो नहीं ।।


हम तेरे नशे में डूबकर भूल गए जिंदगी ,

जो मंज़िल सोची थी मैंने ये वो तो नहीं ।।

बड़ा शोर है हर मोड़ पर यहां ,

जिस मोहल्ले में हम रहते थे ये वो तो नहीं ।।


अकेले तन्हाई से साथ हो गया मेरा,

जो साथ मैंने सोचा था ये वो तो नहीं ।।

मेरी आग में लिपटकर घर बर्बाद हो गया मेरा,

जो घरौंदा मैंने सोचा था ये वो तो नहीं ।।


कई लोग आए मेरी जिंदगी में ,

मैं सबको देखकर कहता था ये वो तो नहीं ।।

कुछ यू बर्बाद हुआ तेरे इश्क़ में ,

कि जिंदगी को भी कहता हूं ये वो तो नहीं ।।


जो सोची जिंदगी जीने की वो कहां जी ,

जो जिंदगी गुज़री ये वो तो नहीं ।।

मैं हंसते-हंसते अपना लेता मौत भी अपनी,

पर जो मौत भी मैंने सोची ये वो तो नहीं ।।

-लक्ष्य


Name: Lakshya Tewari

Place: Lucknow

Passion: debating, weight lifting



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