top of page

Father

Writer: Noel LorenzNoel Lorenz


पिता की छाँव का एहसास सभी को हर वक़्त होता है,

अब ज़ाहिरी तौर पर क़रीब नहीं तो दर्द बहुत होता है।


दीदा-ए-पुर-नम व लब भी हमारे ख़ुश्क हो रहे होते हैं,

उनके दस्ते शफ़क़्क़त का तरीका याद आ रहा होता है।


जहाँ में अपना कहने वाले तो बखूबी मिल रहे होते हैं,

रहमान बाँदवी उनके जैसे मोहब्बत करने वाला भी कोई नहीं होता है।

रहमान बाँदवी

@ar51292

Recent Posts

See All

Ek sadak durghatna jo meine dekhi

एक सड़क दुर्घटना _ जो मैंने देखी कैसे करूं बयां जो मुझसे देखा भी नहीं जाता, एक ऐसा दृश्य जिसे देखकर हर कोई कांप जाता। वो कहते हैं ना...

Commentaires


  • Instagram
  • Amazon
  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • YouTube
Copyright © 2024, Noel Lorenz. All Rights Reserved.
bottom of page