Poem by Jagrit Jaiswal
- Noel Lorenz
- May 31, 2021
- 1 min read
Updated: May 31, 2021
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*पूजा*
केवल धर्मस्थलों पर ही संबंधित धर्म तीर्थंकरों को पूजने से हमें अपने धर्म, कर्म से मुक्ति मिल जाएगी तो सोचिए उन सब घटनाओं का क्या जो हम लोगो के आस पास घटित हो रहा है…?
जैसे कि हम सब देखते हैं हमारे समाज में बहुत सी कुरीतियां जैसे भ्रूण हत्या, कन्या उत्पीड़न, किसी जाति या धर्म विशेष का उत्पीड़न, दहेज इत्यादि जैसी बुराइयां जो घात लगाए हैं इन सबको दरनिकार करके हम धर्म के नाम पर जो भी अपनी श्रद्धा या आस्था दिखाते हैं, क्या वो सर्वथा है…?
अपने माता पिता को कुछ लोग केवल जायदाद की मंशा से अपने पास रखते हैं या अपनी व्यस्तता की वजह से घर वृद्धाश्रमों में निर्वासित करा देते हैं क्या वो धर्म/पूजा है…
बहुत सारी कुरीतियां और अपराध हैं समाज में, हम सब उस चीज को देखते और महसूस भी करते होंगे…लेकिन इन सब बातों से ध्यान हटाकर केवल धर्मस्थलों पर दिखावा या अगर निश्छल मन से भी अगर अपने आप को समर्पित कर रहे हैं तो हमें *पूजा* का सही फल तब तक नहीं मिलेगा जब तक हम अपने मन को शुद्ध करके समाज और घर परिवार में फैली कुरीतियों को दूर करके अपने परिवार, प्रियजनों एवं जरूरतमंदों को खुश एवं स्वस्थ नहीं रख पाए तो सही मायने में पूजा का मूल नहीं मिल पाएगा…
Jagrit Jaiswal
Uttar Pradesh

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